अलीगढ़, उत्तर प्रदेश, एकलव्य मानव संदेश, ब्यूरो रिपोर्ट। भारत में कोरोना बीमारी विदेश से पैसे वालों द्वारा लाई गई है। और इन विमारी लाने वाले लोगों को भारत सरकार हवाई जहाज से लाई है।
लेकिन अपने देश के गरीबों और मजदूरों को रोड पर मरने के लिए ऐसे ही छोड़ दिया। इसका मतलब है को-कौन, रो-रोता है, ना-हमको नहीं है पता। ये बात गरीबों पर 100 प्रतिशत लागू होती है। मतलब गरीब बीमारी से मरे चाहे भुखमरी से हमारी सरकार को इसकी ज्यादा चिंता नहीं है। क्योंकि जो राहत पैकेज लागू करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने घोषणा की है उसका लाभ 30 से 40 करोड़ साधन हीन, गरीबों को नहीं मिलने वाला है।
क्योंकि इनमें से बहुत सों के पास न तो अभी कोई बैंक खाता है। न अभी तक राशन कार्ड बने हैं। न उज्वला गैस कनेक्शन हैं। न रजिस्टर्ड मजदूर हैं। ऐसी अनेकों परेशानी के साथ साथ जहां इनमें से अनेक नौकरी करते थे उन्होंने भी इनको भगा दिया और इनकी तनख्वाह या सेलरी भी नहीं दी या देने वाले हैं। इसका मतलब यह हुआ ये गरीब महा मारी से मारें या भुखमरी से, लेकिन इनके हिस्से से भी जो मिल सकता है वह कमीशनखोरी वालों को, बेईमानों को मिल जाये।
क्योंकि सरकार के साधनों पर दवंगों, भ्रस्टाचारियों का ही कब्जा है। इन भ्रस्टाचारियों को इस आपातकाल में अपना घर भरने का सहारा मिल जाएगा। क्योंकि चाहे जनधन खाता हों, चाहे मनरेगा कार्ड हों, चाहे बीपीएल कार्ड हों, चाहे उज्वला गेस कनेक्शन हों 50 प्रतिशत पर अपात्र बेईमानों का कब्जा है। इसलिए अब देखना होगा कैसे सरकार के धन और योजनाओं का लाभ जरूरत मंदों को मिलेगा।
(पैसों की कमी से लगभग 60 किलोमीटर दूर अपने घर दो बेटियों को साईकल से लौट रहे भूखे मजदूर की बेटियों को टॉफी देते पुलिस कर्मी)